होडू गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं,जगह कचरे के ढेर, टूटी सड़कें, मजबूर गांव के लोग।
*मूलचंद सोनी
नाद की आवाज़,सिणधरी।
एक समय,सिणधरी पंचायत समिति का होडू गांव बाड़मेर जिले में जनसंख्या के लिहाज से शीर्षस्थ 10 ग्राम पंचायतों में एक था। लेकिन आज आजादी के 75 साल बाद भी यह गांव अनेकों मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। गांव में आज भी बिजली, पानी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की स्अथिति चिंताजनक है। स्वच्छता की बदहाल व्यवस्था के कारण जगह-जगह बबूल की झाडि़यों, मच्छरों से फैलने वाली और विभिन्न मौसमी बीमारियों सहित अनेक समस्याओं के समाधान के लिए ग्रामीण दशकों से तरस रहे हैं।
होडू के वाशिंदों ने बताया कि गांव में समस्याओं का अंबार है। गांव में मीठे पानी की कोई सरकारी योजना नही होने के कारण पेयजल समस्या जस की तस बनी हुई है। ट्यूबवेल का पानी खारा होने से ग्रामवासी प्राकृतिक जल स्त्रोत बरसाती पानी के भण्डारण से ही अपनी प्यास बूझाने व गुजर-बसर करने को मजबूर हैं। भारी वाहनों ट्रकों के गांव के बीच में से गुजरने के चलते हर समय हादसा होने का डर रहने के साथ ध्वनी प्रदूषण ने लोगों का जीना दुभर हो गया है, गांव के लोग बरसों से बाइपास की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी नहीं सुनी जा रही है।
ग्रामवासियों ने जानकारी देते हुए बताया कि होडू गांव के लोग आजादी के 75 वर्ष बाद अभावग्रसत जीवन जीने को मजबूर है। गांव में बिजली, पानी, चिकित्सा, स्वच्छता, अतिक्रमण, सड़क, नालियों, गली-मौहल्लों में जगह-जगह पसरे पडे़ कचरे के ढेर सहित अनेक समस्याओं की भरमार होने के कारण ग्रामीणों को अभावग्रसित जीवनन जीना पड़ रहा है।
समस्याओ के समाधान के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों को कई बार मौखिक व लिखित रूप में अवगत करवाये जाने के बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नही हुई हैं। जिम्मेदारों ने ग्राम विकास की ओर कभी ध्यान नहीं दिया और ना ही मूलभूत सुविधाओं के विकास को गंभीरता से सोचा है। इससे ग्रामीण अभावों में अपनी गुजर-बसर कर रहे।
गांव में स्वास्थ्य सेवाएं भी नही के बराबर ही है। राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व आयुर्वेदिक चिकित्सालय में समस्याओं का अंबार है। इन चिकित्सा केन्द्रों पर पेयजल व्यवस्था नही होने के साथ ही तमाम आधार भूत सुविधा की कमी है। आयुर्वेदिक अस्पताल में वर्षों से वैद की नियुक्ति नही होने से यह तो मानो बंद सा हो गया है। स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्साकर्मी लगा है, मगर यह भी लेटलतिफी का शिकार है। महिने भर कभी कभाक ही नजर आता है। गांव में पशु चिकित्सालय होने के वाजूद चिकित्सा सेवा पूरी तरह से चर्मराई हुई है।
बाईपास नही होने आवागमन में परेशानीः
गांव में बाईपास नही होने से बजरी व सरणू के पत्थरों से लदे बडे़ डंपर व ट्रेक्टरों की रेलमपेल हर समय रहती है। तेजी से सरपट दौड़ने से टायरों से उड़ने वाली डस्ट उड़ती रहने से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ने के साथ ही हर समय हादसा होने की संभावना बनी रहती है। ये वाहन गांव के अंदर से दिन-रात दौड़ते रहने व प्रेशर होर्न से होने से ध्वनि प्रदूषण ने आमजन की नींद हराम कर दी है।
जर्जरहाल पटवारघर की नही ली सुधः
जागरूक ग्रामीणों ने बताया कि गांव बना पटवारघर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है। देखरेख के अभाव परिसर में बबूल की झाडि़यों की भरमार होने से इसका उपयोग शौच करने के लिया जा रहा है। नशेडी़ लोग इसका उपयोग शराब, स्मैक आदि विभिन्न नशे करने में ले रहे हैं।
कागजों में हो जाती है बैठकेंः
ग्राम पंचायत बैठके व ग्राम सभाएं कागजों में ही कर दी जाती हैं। परेशान ग्रामीणों की समस्याएं जानने के लिए कभी कोई जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने धरातल पर आकर नही पूछा कि क्या तकलीफ है। ग्रामीणों ने बताया कि जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने ग्राम विकास की ओर कभी ध्यान नही दिया। इन लोगों ने तो सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में ही सोचा तथा अपना ही उल्लू सीधा किया।
अतिक्रमण की भरमारः
गांव ओर-गौचर की भूमि पर अतिक्रमण की भरमार है। संबधित विभागाधिकारियों को गांव में किए गए तमाम अतिक्रमण के पूरी जानकारी के बावजूद प्रशासन की ओर से अतिक्रमियों के खिलाफ न तो कभी किसी को नोटिस भेजा गया है और ना ही आज तक कोई सख्त कार्यवाही की। इसके चलते अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद है।
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